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गाँधी की अहिंसा की असलियत

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गांधीवादियो द्वारा गाँधी के बारे में अहिंसा को लेकर इतना आग्रह हैकि वे यह मन ही नहीं सकते की गाँधी भी हिंसा के समर्तक हो सकते है.लेकिन इतिहास की घटनाये इसे गलत साबित करती है.कम से कम तीन उदाहर्द दिए जा सकते है जब गाँधी जी ने औओचित्यविहिन हिंसा का सम्रज्वाडियो के हित में समर्थन किया था पहला उदाह्रद हमें साउथ अफ्रीका के त्रंस्वल्लोक्तंत्र पैर साम्राज्यवादी अंग्रेजो ने अपने स्वार्थ के लिए वह मिले सोने की खान के लूट के लिए किया था जिसमे बोअरो ने बहुत बहादुरी के साथ उनका मुकाबला किया ऐर्लंद की जनता भी उनक साथ थी ,लेकिन गाँधी जी ने अंग्रेजो के समर्थन और सहयोग के लिए स्वयेम्सेव्को की सेना का गठन किया.इससे सरे संसार को बहुत आश्चर्य हुआ.लोंदन के क्रन्तिकारी नेता श्री क्रिश्द वर्मा ने आलोचना करते हुए कहा की जिस जाती ने हिंदुस्तान की जनता को गुलाम बना केर हिंदुस्तान को लूट केर गरीब बना दिया तथा इस हालत में पंहुचा दिया उस व्यवस्था को गंध्जी ने सहयोग केर नाजायज और नासमझी भरा कम किया इनकी इस कार्य पैर अमेरिकी पत्रों ने भारत की कड़ी आलोचना की तथा कहाकिभार्तियो ने इस प्रकार जिस गुलाम मानसिकता का परिचय दिया है वह सोचनीय है. दूसरा उदाहरद प्रथम विस्वा युद्ध के समय गाँधी जी द्वारा बाराती गयी हिंसा के समर्थन की है.यह युद्ध दो सम्रज्वाडियो द्वारा सिर्फ स्वार्थ और लूट के लिए हुआ था.हलाकि इन देशो का कहना था की यह युद्ध स्वतंत्रता स्वराज और्विकास के लिए लादे जा रहे है जब की यह सच नहीं था यह विशुद्ध साम्राज्यवादियो द्वारा गुलाम बनाने तथा लूट केर अपने देश के पुजीपतियो को मुनाफा कमवाने के लिए लड़ा जा रहा थैसिलिये लेनिन,बोल्सिविको औए वामपंथियो ने इसका विरोध किया और श्रमजीवियो से अपील की की अपने संगीनों का मुह शोषको की तरफ मोड़ दे और साम्राज्यवादियो के युद्ध को अपनी मुक्ति के युद्ध में बदल दे.इसी समय गाँधी जी ब्रिटेन ए और भारतीय जवानों को ब्रिटिश साम्रज्य के विजी के लिए कम करने की सलाह दी उन्हों ने अपनी सेवाए अर्पित करने के लिए ब्रिटिश शाशन को पात्र भी लिखा और साम्राज्यवादियो के सहयोग के लिए अम्बुलेंस करे की स्थापना की १९१७ में voisrai ने युद्ध parisad की meting bulai jiske bad gandh जी ने voyasrai को patra लिखा जिसमे unhone लिखा की mere vas की bat hoti to,aise muoke पैर home rul vagarah का nam tak नहीं letasamrajya के इस ade vakt mesareshactishali hindustanio को samrajya की racha में balidan hone के लिए prerit karata.bamai sarkar की युद्ध parisad की bathakme tilak ने shart rakhi की sahayata tabhi दी जा sakti है जब sarkar swashasan का adhikar दे.ashwashan na milane पैर tilak ने metig का bahiskar किया parantu गाँधी wahi bathe रहे.अहिंसा के पुजारी bapu ने अंग्रेजो की top के लिए chara jutane का कम किया kisano से अपील की har gaw से bees rangrot mahatma गाँधी के ahinsako spasht करने की teesari ghtana है,chandra singh gadhwali की 23 april 1930ko peshawar की जनता ने vidroh केर nager पैर kabja केर liya.chandra singh gadhwali के netrityaw में दो platun सेना bagawat को dabane के लिए bhaji गयी parantu gadhwali ने goli chalane से inkar केर diyakam से कम yaha to गाँधी के अहिंसा के anusar ही goli नहीं chalayi गयी थी parantu गाँधी जी को यह ras नहीं aya इसी लिए गाँधी irvin samjhuote में gadhwaliyo को khas tuor पैर rihayi से alag rakha. गाँधी जी के अहिंसा का asli pardafas 1942 के andolan में हुआ जब unhone karo ya maro का nara दिया. rajnipam datta ने gandh जी के अहिंसा के बारे में लिखा है की अहिंसा ek ramnami dupate की tarah है jise odh kerjane anjanevarg स्वार्थ का समर्थन किया jata haiaur verg shoshad को kayam rakha jata है.

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