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htmlजिस शिछा अधिकार अधिनियम को संप्रग सर्कार ऐतिहासिक कह केर प्रचारित केर के वह वास्तव में इस देश के गरीबो, बंचितो के साथ भाडा मजाक और ऐतिहासिक धोखा है मुओलिक अधिकार के नाम सर्कार अपनी जिमेदारी से पल्ला झाड़ना और शिछा को मुनाफे का धंधा बनाने का कम इसके माध्यम से किया ja raha है.jara इस tathya per guor kare kya koi मुओलिक अधिकार घटिया सीचा का हो sakata है ?क्या कोई मुओलिक अधिकार गर्बराब्री का हो सकता है?क्या कोई मुओलिक अधिकार्भेद भाव पुरद सीचा का होसकताहै?इस कानून बनाने से सरकार सभी बच्चो को सामान और गुद्वता पुरद शिक्चा देने के सम्वाधानिक जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहती है देशी कुलको के हितो को जोनाये खुलने वाले मोडले स्चूलो और्नावोदय विद्यालयों कोचोद केर बाकि स्चूलो कोध्वस्त करना चाहती है.और सीचा का नीजिकरद केर की रफ़्तार तेज करना चाहती है.इसी लिए पब्लिक स्चूलो में २५%बचो को मुफ्त सीचा रिआयती दर पैर कर्ज इत्यादि द्वारा निजिकरद बजरिकड़ लगो केर मोटा मुनाफा कमाने की छुट देना चाहती है.कपिल सिब्बल कहते है की गुद्वता प्रद सिचादेना केलिए सर्कार के पास संसाधन नहीं हैतो इस कानून का क्या अर्थ हो सकता है इसके अलावा की गरीबो,बंचितो को घटिया सीचा देने और सीचा को बेलगाम मुनाफा कमाने का धंधा बनाने किचूत देने के लिए यह कानून बनाया जा रहा है. इसलिए सभी मेहनतकश लोगो तथा उनकी तरफदारी करने वाले लोगो के लिए यह आवश्यक हो जाता है की शिछा के निजिकरद और बजरिकरद के खिलाफ लामबंद हो केर संघर्ष के लिए टायर हो जाना चाहिए
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